अब पीएमजीएसवाय की सडक़ बेची !

Posted by Rajendra Rathore on 7:44 PM

@ सड़क पर आरकेएम पावर कंपनी के किया कब्ज़ा


रोगदा बांध, कोसाबाड़ी व उद्यान को पावर कंपनियों को बेचे जाने के बाद राज्य सरकार ने अब पीएमजीएसवाय की एक सडक़ को बेच दिया है। देवरघटा बांधापाली से घिवरा तक की ढ़ाई किलोमीटर सडक़ को सरकार ने आरकेएम पावर कंपनी को बेचा है, जिसे समतल कर कंपनी ने पावर प्लांट का निर्माण शुरु करा दिया है। सडक़ बंद होने से क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोगों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है।
छत्तीसगढ़ के जांजगी-चाम्पा जिले के डभरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम देवरघटा-बांधापाली से घिवरा तक का मार्ग अत्यंत जर्जर था, जिससे आसपास के ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी हो रही थी। ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए करीब तीन-चार वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत् इस मार्ग पर पक्की सडक़ निर्माण की अनुमति शासन से मिली। योजना के तहत् रकम मिलने के बाद पीएमजीएसवाय सक्ती अनुभाग द्वारा टेण्डर जारी कर देवरघटा-बांधापाली से घिवरा तक कुल लंबाई 2.66 किलोमीटर की सडक़ का निर्माण शुरु कराया गया। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस सडक़ के बधान का मिट्टी कार्य 5019 घन मीटर है तथा लागत मूल्य 15 लाख रुपए व मार्ग की कुल चौड़ाई 750 मीटर है। सडक़ निर्माण के बाद क्षेत्र के लोगों को सुविधा हो रही थी, साथ ही इस सडक़ से क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक गांव के लोग आवागमन कर रहे थे। मगर ग्रामीणों के हितों को नजरअंदाज करते हुए राज्य सरकार ने कुछ माह पूर्व यह सडक़ उच्चपिंडा में निर्माणाधीन आरकेएम पावर जेन कंपनी को बेच दिया, जिस पर पावर कंपनी ने कब्जा कर बिजली घर का निर्माण शुरु करा दिया है। कंपनी प्रबंधन ने इस मार्ग के दोनों ओर घेरा डालकर प्रवेश वर्जित का बोर्ड भी लगवाया है, इससे क्षेत्र के ग्रामीणों के आवागमन का प्रमुख व पक्का रास्ता बंद हो गया है। उच्चपिंडा के ग्रामीणों ने बताया कि पावर कंपनी ने रातों-रात सडक़ पर कब्जा कर लिया, जिसकी जानकारी होने पर क्षेत्र के लोगों ने विरोध भी जताया, लेकिन उनकी एक न सुनी गई। ऐसे में मामले की शिकायत जिला प्रशासन सहित प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के उपअभियंता व कार्यपालन अभियंता से भी की गई, लेकिन उनकी शिकायतों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों के अनुसार पावर कंपनी द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम योजना की सडक़ पर कब्जा किए जाने की शिकायत सांसद कमला देवी पाटले व क्षेत्रीय विधायक व संसदीय सचिव युद्धवीर सिंह जूदेव से भी की गई है। दूसरी ओर, आरकेएम पावर कंपनी अपने कई कार्यो को लेकर सुर्खियों में रही है, चाहे वह भूमि अधिग्रहण का मामला हो या फिर मुआवजा व पुनर्वास नीति के पालन का। हर समय प्रबंधन ने ग्रामीणों के साथ छल-कपट किया है। ग्रामीण बताते हैं कि प्रधानमंत्री योजना की सडक़ पर कब्जा करने के बाद ग्रामीणों उनसे कई बार बात करनी चाही, लेकिन उन्हें अधिकारियों से मिलने तो दूर, गेट से अंदर घुसने तक नहीं दिया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि वे उनके बजाय शासन-प्रशासन के अफसरों के पास जाकर अपनी फरियाद करें, तो ज्यादा बेहतर होगा। यहां बताना लाजिमी होगा कि उच्चपिंडा में निर्माणाधीन आरकेएम पावर जेन कंपनी का शुरुआत से ही विरोध हो रहा है। जनसुनवाई के दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने क्षेत्र में पावर प्लांट नहीं लगाने की बात कहते हुए जमकर विरोध किया था। जबकि डेढ़ साल पहले मुआवजा व पुर्नवास नीति को लेकर निर्माणाधीन प्लांट परिसर में तोडफ़ोड़ की गई थी। इसके बाद से काफी दिनों तक पावर प्लांट का निर्माण बंद रहा। कंपनी प्रबंधन के अफसर लगातार काम शुरु कराने प्रयास करते रहे, तब जाकर किसी तरह लगभग छह माह पहले दोबारा का चालू हुआ। बहरहाल, कृषि भूमि, बांध व उद्यान को बेचने के बाद सरकार अब उन तमाम संसाधनों को बेचने पर अमादा है, जिससे ग्रामीणों का निस्तार हो रहा है।