केएसके महानदी कर रहा भू-जल दोहन

Posted by Rajendra Rathore on 8:20 PM

0 शासन से अब तक नहीं ली गई है अनुमति

केएसके महानदी पावर कंपनी ने प्राकृतिक जलस्त्रोत के उपयोग के लिए शासन से अब तक अनुमति नहीं ली है, जबकि सिविल कार्यो के लिए कंपनी प्रबंधन बोर के माध्यम से धड़ल्ले से पानी उपयोग कर रहा है। इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत् सिंचाई विभाग से मिली जानकारी से हुआ है। पावर कंपनी द्वारा बगैर अनुमति भूमिगत जलदोह किए जाने से आसपास के क्षेत्र के जलस्तर में भारी गिरावट आई है।

जांजगीर जिले के अकलतरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम नरियरा में केएसके महानदी पावर कंपनी द्वारा 3600 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है। संयंत्र को आवश्यक पानी के लिए बैराज पर निर्भर रहने की जरूरत प्रबंधन द्वारा महज कागजों में ही बताया गया है। फिलहाल पावर प्लांट के बैराज का निर्माण लटका हुआ है, लेकिन प्रस्तावित पावर प्लांट क्षेत्र में सिविल काम तेजी से चल रहा है। केएसके महानदी कंपनी ने प्रकृतिक स्त्रोत से पानी लेने की अनुमति नहीं ली है, इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार के माध्यम से हुआ है। जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस कंपनी ने अब तक न ही किसी तरह की अनुमति ली है और न ही शुल्क के रूप में विभाग को कोई अदायगी की है। बताया जाता है कि कंपनी प्रबंधन ने निर्माणाधीन प्लांट परिसर में दो दर्जन से ज्यादा बोर कराए हैं, जिनसे भू-जल लेकर सिविल कार्य कराया जा रहा है। यहां बताना लाजिमी होगा कि बीते गर्मी के दौरान केएसके महानदी पावर कंपनी द्वारा भूमिगत जल के उपयोग किए जाने की शिकायत आसपास के क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से की थी। ग्रामीणों ने बताया था कि पावर कंपनी द्वारा निर्माणाधीन प्लांट परिसर में भारी क्षमता के बोर लगाकर सिविल कार्यो के लिए भू-जल लिया जा रहा है, इस वजह से आसपास के गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है।

मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र ने एसडीएम जांजगीर सहित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग व सिंचाई विभाग के अफसरों की एक टीम बनाकर वहां जांच के लिए भेजा था। जांच के दौरान निर्माणाधीन प्लांट परिसर में 17 बोर चालू हालत में पाए गए थे, जिससे सिविल कार्यो के लिए पानी लिए जाने की पुष्टि हुई थी। बावजूद इसके जिला प्रशासन ने मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। इस मामले में कुछ दिनों पहले यह भी बातें सामने आई कि जांच अधिकारियों ने जिला प्रशासन को गलत रिपोर्ट दे दी है, ताकि कंपनी प्रबंधन पर किसी तरह की कार्रवाई न हो। उल्लेखनीय है कि जिले में प्रस्तावित व निर्माणाधीन संयंत्रों को पानी देने के लिए तीन बैराजों का प्रस्ताव है, इनमें महानदी से 100 मिलीयन घन मीटर, बसंतपुर बैराज में 52.51 मिलीयन घन मीटर और शिवरीनारायण बैराज से 12.51 मिलीयन घन मीटर पानी पावर कंपनियों को दिया जाना प्रस्तावित है। फिलहाल इस कार्य के लिए ज्यादा कुछ नहीं हो पाया है। सिंचाई विभाग की प्रक्रिया सिर्फ इतनी ही आगे बढ़ी है कि बैराज के लिए 40 फीसदी धन राशि बतौर अग्रिम जमा करा दी गई है। बहरहाल जिला प्रशासन की उदासीनता का कंपनी प्रबंधन द्वारा फायदा उठाकर धड़ल्ले से भू-जल का दोहन किया जा रहा है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से यह भी जानकारी मिली है कि निर्माणाधीन पावर प्लांट क्षेत्र का भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है, इसकी एकमात्र वजह कंपनी प्रबंधन द्वारा भारी क्षमता के बोर से भूमिगत जल का दोहन किया जाना ही है।