किशोर दा से नहीं मिल पाने का अफसोस- सानू

Posted by Rajendra Rathore on 8:59 PM


0 सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक कुमार सानू से विशेष बातचीत

एक ही दिन में 28 गाने रिकार्ड करने वाले, पांच बार सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक का पुरूस्कार जीतने वाले और सन् 2009 में पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए पार्श्व गायक कुमार सानू को किशोर दा से नहीं मिल पाने का अफसोस है। बॉलीवुड के मशहूर प्लेबैक सिंगर सानू ने जांजगीर में आयोजित जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव में अपने सुरों से धूम मचाई।
कोलकाता में जन्में कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनका पारिवारिक माहौल पूरी तरह से संगीतमय रहा है। पिता पशुपतिनाथ संगीत के शिक्षक रहे, बड़ी बहन रेडियो पर गाती थी। सन् 1989 में जगजीत सिंह ने उन्हें संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी से मिलाया और उन्होंने अपना पहला गाना फिल्म जादूगर में गाने का मौका कुमार सानू को दिया।पार्श्व गायक कुमार सानू ने बातचीत में कहा कि वर्तमान दौर में के गानों में फूहड़ता है, इस बात को श्रोता भी जानते हैं।
फूहड़ गीतों के माध्यम से हम आने वाले पीढ़ी के लिए माहौल खराब कर रहे हैं। सानू ने बताया कि किशोर दा ही उनके आदर्श हैं, लेकिन उन्हें न तो किशोर दा के साथ गाने का मौका मिला और न ही मुलाकात कर सके। महेश भट्ट की फिल्म आशिकी से रातोंरात सिने जगत पर छा जाने वाले कुमार सानू ने आगे बताया कि वे अपने 22 वर्ष के फिल्मी कैरियर में 17 हजार से अधिक गाने हिंदी और बांग्ला में गा चुके हैं। साजन, 1942 ए लव स्टोरी, सडक़, फूल और कांटे, आंखें, जुर्म सहित लगभग 350 फिल्मों में कुमार सानू ने गीत गाए हैं। फिलहाल उनके तीन एलबम ट्रेक पर हैं, जिनमें से एक संभवत: वेलेंटाईन डे पर रिलीज होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में यह उनका तीसरा प्रोग्राम रहा है, इससे पहले वे बिलासपुर व रायपुर में अपनी प्रस्तुति दे चुके है।
छत्तीसगढ़ के लोगों को गीत-संगीत से बहुत ज्यादा लगाव है तथा यहां के दर्शक बहुत अच्छे हैं, जो कलाकारों का बहुत सम्मान करते हैं। सानू ने कहा कि फिल्म नगरी मुंबई में हर रोज सैकड़ों नए गीतकार-संगीतकार आते हैं, मगर वही कामयाब होते है, जिन्हें श्रोता व दर्शकों का स्नेह मिलता है। सानू ने बताया कि छत्तीसगढी़ फिल्म व गीत संगीत भी सुनने में अच्छे लगते हैं, बशर्ते फुहड़ता न रहे।