अरबों की जमीन, बालको को कौडियों में!

Posted by Rajendra Rathore on 9:31 AM

बालको के कब्जे वाली हजारों एकड़ जमीन को छत्तीसगढ़ सरकार कौडियों के भाव देने को तैयार है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि वह बालको से उसी दर पर लीज अग्रिम व लीज किराया वसूलेगी, जो दाम 1968 में तय किए गए थे।
छत्तीसगढ़ के कोरबा
जिले में 2753 एकड़ जमीन बालको के कब्जे में है। 42 साल पहले जमीन का लीज मूल्य दो सौ रूपए प्रति एकड़ था, जबकि वर्तमान में उद्योगों के लिए जमीन की दर लगभग दस लाख रूपए प्रति एकड़ है। सरकार के इस निर्णय से अरबों रूपए की राजस्व हानि होगी। पुरानी दर से सरकार को लगभग साढ़े पांच लाख रूपए ही मिलेंगे, जबकि वर्तमान दर से पौने तीन करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिल जाता। बालको द्वारा जरूरत से ज्यादा जमीन पर कब्जा करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति दलबीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार बालको से उसी दर पर लीज अग्रिम और लीज किराया वसूलेगी, जो दाम 1968 में तय किए गए थे। बालको ने 1968 में कोरबा में एक एल्यूमोनियम संयंत्र लगाने का प्रस्ताव दिया था, तब लीज अग्रिम राशि प्रति एकड़ 200 रूपए थी। बालको द्वारा तकरीबन 1751 एकड़ में छोटे एवं बड़े झाड़ की वनभूमि पर कब्जे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिका भी विचाराधीन है। इसे दायर करने वाले स्वयंसेवी संगठन सार्थक ने खंडपीठ से आग्रह किया कि चूंकि दोनों याचिकाएं एक ही मामले को लेक र हैं और इनके फैसले एक-दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं, लिहाजा दोनों की सुनवाई एक साथ की जाए। खंडपीठ ने इस आग्रह को मंजूर कर लिया।

कब-कब क्या हुआ

1968 में बालको ने संयंत्र के लिए 1616 एकड़ भूमि की जरूरत बताई। 1971 में प्रदेश के राजस्व विभाग ने बालको को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि लीज प्रीमियम का भुगतान मौजूदा दरों पर क रना होगा। 1993 में जब राजस्व विभाग ने कम्पनी को औपचारिक रूप से 338 एकड़ जमीन आवंटित की तब तक लीज प्रीमियम के दाम दस गुना बढ़ चुके थे। जाहिर है बालको ने इस दर को नामंजूर कर दिया। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद राजस्व विभाग के छोटे-बड़े झाड़ की जमीन वनभूमि घोषित। इससे बालको के कब्जे वाली अधिकतम जमीन वनभूमि के दायरे में। 2001 में वेदांता समूह ने बालको का अधिग्रहण किया। 2004 में बालको के विस्तार के लिए जंगलों की कटाई का विरोध। सरकार ने सीमांकन कमेटी बनाई। कमेटी ने पाया कि बाल्को के कब्जे में 1616 नहीं, बल्कि 2753 एकड़ भूमि। इसमे से 1036 बेजा कब्जा। 2005 में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने बालको के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बालको के पास 1839 एकड़ सरकारी जमीन, जिसमें से 1751 एकड़ वनभूमि। लिहाजा कम्पनी पर्यावरण मंजूरी लेकर भूमि का मूल्य चुकाए।