सरकार को जनभावनाओं से सरोकार नहीं

Posted by Rajendra Rathore on 2:58 AM

केंद्र सरकार ने विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के तत्काल बाद पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी कर दी। इससे स्पष्ट हो गया कि चुनाव के बाद सरकार को जनभावनाओं से कोई सरोकार नहीं है। पेट्रोल के बाद डीजल और रसोई गैस महंगा होना तो तय है ही, अगले पखवाड़े पेट्रोल के दाम फिर बढ़ जाएं, तो आश्चर्य नहीं। क्योंकि पेट्रोल के वर्तमान दर से भी तेल कंपनियों को घाटा हो रहा है। हालात ऐसे हो गए है कि खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कोई लक्षण नहीं हैं, दूध के दाम में भी बढ़ोतरी हो चुकी है। ऐसे में पेट्रोल के मूल्य में हुई यह ताजा बढ़ोतरी मध्यवर्ग की कमर तोड़ रह है।
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले 9 महीने में नौ बार पेट्रोल के दाम बढ़े है। खासकर यूपीए सरकार की दूसरी पारी में पेट्रोल की कीमत में 23 रुपए वृद्धि हुई है। यह सही है कि आयातित पेट्रो उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य से नीचे बेचना आर्थिक दृष्टि से घाटे का सौदा है और सरकार अनंत काल तक इसमें सबसिडी नहीं दे सकती। मगर एकमुश्त पांच रूपए वृद्धि करने के बजाय अगर सरकार जनवरी में ही पेट्रोल की कीमत में कुछ वृद्धि करती, तो उसे फिलहाल इसमें इतनी बढ़ोतरी की जरूरत नहीं पड़ती। चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पेट्रोलियम दर में वृद्धि करने के निर्णय से स्पष्ट हो गया कि सरकार चुनाव से पहले पेट्रोल एक रुपया महंगा रने का जोखिम नहीं लेना चाहती थी, जबकि उसे चुनाव के बाद इसमें पांच रुपये की बढ़ोतरी करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। सरकार यदि चाहे तो अपने शुल्कों और अधिभारों में कुछ कमी कर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को नियंत्रण में रख ही सकती है। एक लीटर पेट्रोल की जो कीमत है, उसका आधा से कुछ अधिक तो उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, वैट, शिक्षा अधिभार आदि में ही चला जाता है। वाम दलों ने कुछ साल पहले यूपीए सरकार के सामने यह फॉरमूला रखा था, तब वे सरकार को समर्थन दे रहे थे, अब तो वे पश्चिम बंगाल और केरल में भी सत्ता में नहीं हैं। वे ज्यादा से ज्यादा सड़कों पर उतरकर इस मूल्यवृद्धि के विरोध में आंदोलन ही करेंगे। विपक्ष की भूमिका भी कुछ ऐसी हो गई है कि उससे महंगाई के मामले में सरकार पर दबाव बनाने की उम्मीद नहीं कर सकते। लिहाजा जनता को न सिर्फ इस मूल्यवृद्धि का बोझ सहना होगा, बल्कि आगामी दिनों में पेट्रो उत्पादों की कीमत में और बढ़ोतरी के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।