पैसे नहीं, प्रेम व सम्मान के भूखे हैं हम
0 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री भागवत प्रसाद शर्मा से राजेंद्र राठौर की विशेष बातचीत
देश की आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री भागवत प्रसाद शर्मा को शासन से पेंशन के रूप में मिलने वाले पैसे से नहीं, बल्कि प्रेम व सम्मान की भूख है। वे देश की दिनों-दिन बिगड़ती व्यवस्था से चिंतित भी है।
जांजगीर जिले के पामगढ़ विकासखंड अंतर्गत एक छोटे से गांव नंदेली व यहां निवासरत पंडित भागवत प्रसाद शर्मा की अपनी विशिष्ट पहचान है। आजादी के पर्व के मौके पर हर बार इन्हें सम्मानित किया जाता है, क्योंकि इन्होंने देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 88 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके श्री शर्मा तेज तर्रार है। वर्तमान में वे अपने गृहग्राम नंदेली में पत्नी श्रीमती तुलसी देवी व बेटे के साथ रह रहे हैं। उनके मकान की हालत एकदम दयनीय हो चुकी है। मिटटी व खपरैल से निर्मित मकान काफी पुराना है, जिसके कई हिस्से ढह चुके हैं। श्री शर्मा ने बम्हनीडीह विकासखं
नानी बदहाली में दिन गुजार रहे थे। तब स्व. इंदिरा गांधी ने 200 रुपये प्रतिमाह पेंशन की शुरूआत की, साथ ही सम्मान व स्नेह भी दिया। वर्तमान में केन्द्र सरकार 14 हजार 116 रुपये व राज्य सरकार 7000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दे रही है, लेकिन सम्मान और स्नेह नहीं मिल रहा है। वास्तव में हम रूपए के नहीं, बल्कि प्रेम व सम्मान के भूखे हैं। वे नौकरी-पेशा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बच्चों को आरक्षण नहीं दिए जाने से भी खफा हैं। उल्लेखनीय है कि भारत छोड़ो आन्दोलन की वर्षगांठ पर नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने छत्तीसगढ़ के पांच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित किया है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में सम्मानित हुए इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में भागवत प्रसाद शर्मा भी शामिल है।
नहीं चाहिए हमें ऐसा सम्मान !
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को जिला प्रशासन द्वारा 15 अगस्त व 26 जनवरी के मौके पर सम्मानित किया जाता है, जबकि अन्य दिनों उनकी हालत पूछने वाला भी कोई नहीं है। इससे भी श्री शर्मा को चिढ़ हो गई है। वे कहते हैं कि हमें ऐसा सम्मान नहीं चाहिए। हमने देश की आजादी के लिए निस्वार्थ भाव से लड़ाई लड़ी है, ऐसे में हमें दिखावे के रूप में सम्मान की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त व 26 जनवरी के दिन उनके घर पर पहुंचकर जो अधिकारी मिन्नतें करते है, वही अधिकारी काम निकल जाने के बाद फिर साल भर उनका हालचाल पूछना भी लाजमी नहीं समझते।
जिले में आजादी का अंतिम गवाह
आजादी के आंदोलन में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले सेनानियों की जांजगीर जिले में फेहरिस्त काफी लंबी है। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल, कपलेश्वर सिंह, मालूराम केडिया और भी कई लोग है, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, लेकिन इन सभी लोगों का निधन हो चुका है। जिले में अब आजादी के अंतिम गवाह भागवत प्रसाद शर्मा ही बचे है, जिन्हें जिला प्रशासन के अफसर साल में दो दिन सम्मान देकर औपचारिकता निभा लेते हैं।


सार्थक प्रस्तुति
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
sahi hai aazadi ke diwane hamare rastra ke lie anmol sampti hai,,,,,,,,,,,,
बहुत बढ़िया..बहुत बढ़िया..काश ये लेख वो लोग भी पढ़ पाते जानकारी के लिए भी बहुत ही बढिया है...धन्यवाद इसे हम तक पहुंचाने के लिेए....