विदेशी पक्षियों की चहक कोटमीसोनार में

Posted by Rajendra Rathore on 4:22 AM

मगरमच्छ अभ्यारण्य के नाम से देश में अपनी पहचान बना चुके ग्राम कोटमीसोनार में अब हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आने लगे हैं। विदेशी मेहमानों के आगमन को जहंा ग्रामीण शुभ संकेत मान रहे हैं, वहीं वन विभाग ने इन पक्षियों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कोटमीसोनार की पहचान प्रवासी पक्षियों के कारण भी बनने वाली हैं। ठंड शुरू होते ही यहां हजारों की संख्या में एशियन ओपन बिल स्टार्क व लिलिट कारबोनेट्स सहित कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी पहुंचने लगे हैं। मगरमच्छ अभ्यारण्य के आसपास इन प्रवासी पक्षियों को एक साथ हजारों संख्या में देखा जा सकता है, जबकि अधिकांश पक्षी मुड़ा तालाब के बीच टापू में बैठकर मछली व घोंघा आदि से अपना पेट भरते दिखते हैं। विदेशी मेहमान तालाब के चारों ओर बैठे रहते है, जिससे वहां का नजारा देखने लायक रहता है। यही नहीं ये पक्षी जब एक साथ उड़ान भरते हैं, तो मन रोमांचित हो जाता है। प्रवासी पक्षियों के कोटमीसोनार में पहुंचने से मगरमच्छ अभ्यारण्य की सुदंरता काफी बढ़ गई है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावा विदेशी पर्यटक भी भारी संख्या में पहुंच रहे हैं, जो मगरमच्छ के साथ विदेशी मेहमानों को देखकर विभोर हो रहे हैं। कोटमीसोनार के रामकुमार व विजय यादव ने बताया कि प्रवासी पक्षियों के आगमन से ग्रामीणों में भी खासा उत्साह है और वे पक्षियों के आगमन को क्षेत्र के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रवासी पक्षियों के आने से उनके गांव की पहचान और बढ़ी है। ये पक्षी कुछ माह यहां रहकर वापस अपने देश लौट जाते है। प्रवासी पक्षियों के कोटमीसोनार आने का सिलसिला पिछले कुछ वर्षो से लगातार जारी है। कोटमीसोनार में प्रवासी पक्षियों की संख्या साल दर साल बढ़ने से वन विभाग ने इन पक्षियों के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। पक्षियों के संबंध में मगरमच्छ अभ्यारण्य प्रभारी अनिमेष सिंह ने ‘‘जन-आवाज’’ को बताया कि एशियन ओपन बिल स्टार्क व लिलिट कारबोनेट्स बेहद ही आकर्षक पक्षी है। बिल स्टार्क की चांेच में छेद पाया जाता है, जबकि लिलिट कारबोनेट्स एकदम सफेद रंग के होते हैं। ये पक्षी हजारों किलोमीटर का फासला तय कर यहां पहुंचते है, जो अपने बच्चों को जन्म देकर कुछ माह बाद वापस अपने वतन लौट जाते हैं। प्रवासी पक्षी पिछले कुछ साल से यहां पहुंच रहे हैं। मुड़ा तालाब में इन दिनों प्रवासी पक्षियों को काफी संख्या में एक साथ देखा जा सकता है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। मगरमच्छ के अलावा प्रवासी पक्षियों के संवर्धन के लिए भी वन विभाग प्रयासरत है।