Posted by Rajendra Rathore on 1:54 AM
बुनियादी अधोसंरचना के साथ-
साथ नागरिक सुविधाओं के विकास की वजह से छत्तीसगढ़ के शहरों में तेजी से कायाकल्प हो रहा है। शानदार चौड़ी सड़कें,
वृहद चौराहे,
फ्लाई ओवर,
फुटपाथ,
नालियां,
बेहतर प्रकाश व्यवस्था,
मनमोहक उद्यान,
आकर्षक लैंड स्केपिंग,
सुंदर सरोवर और उन्मुक्त खेल मैदान इन्हें आधुनिक शहरों का स्वरूप प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ ही बड़े-
बड़े शापिंग माल,
मल्टीप्लेक्स,
सामुदायिक भवन आदि शहरों की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं। सार्वजनिक नागरिक परिवहन व्यवस्था,
प्रतीक्षा बस स्टैण्ड,
ट्रांसपोर्टनगर,
सार्वजनिक प्रसाधन व्यवस्था जैसी नागरिक सुविधाओं के विकास ने शहरीकरण की गति को नए आयाम दिए हैं। छत्तीसगढ़ की लगभग 23
फीसदी आबादी शहरों और कस्बों में निवास करती है। यहां रहने वाली लगभग 50
लाख आबादी को बेहतर नागरिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के 10
बड़े शहरों में बुनियादी अधोसंरचना और नागरिक सुविधाओं के तेजी से विकास के लिए इन्हें नगर निगम बनाया गया है। इन शहरों में रायपुर,
बिलासपुर,
कोरबा,
दुर्ग,
भिलाई,
राजनांदगांव,
रायगढ़,
जगदलपुर,
अंबिकापुर और चिरमिरी शामिल है। इसके साथ ही 33
शहरों को नगरपालिका तथा 126
कस्बों को नगर पंचायत बनाया गया है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा इन नगर निगमों,
नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के विकास के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा विभाग के बजट में भी लगातार वृद्धि करते हुए योजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। वर्ष 2004-05
में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग
का बजट 310
करोड़ का था,
जिसे वर्ष 2010-11
में बढ़ाकर लगभग एक हजार करोड़ रूपए कर दिया गया है। सभी नगरीय निकायों में बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए व्यस्ततम मार्गो को गौरवपथ के रूप में विकसित किया जा रहा है। गौरवपथ योजना के तहत् शहर के व्यस्ततम मार्ग को चौड़ा कर सीमेंट कांक्रीट अथवा डामरीकृत सड़क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत राज्य शासन द्वारा नगरीय निकायों को 136
करोड़ रूप्ए की राशि स्वीकृत की गई है। योजना के तहत स्वीकृत 105
गौरव पथ में से 68
गौरवपथ का निर्माण पूर्ण कर लिया है। शेष गौरव पथ का निर्माण प्रगति पर है। नगरीय परिवेश में बढ़ते प्रदूषण तथा व्यस्त दिनचर्या की आपाधापी के बीच स्वस्थ्य एवं मनोरम वातावरण में सुकुन के दो चार पल बिताकर शारीरिक एवं मानसिक स्फूर्ति प्रदान करने के उद्वेश्य से नगरीय निकायों में पुष्प वाटिका योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में नए उद्यान विकसित कर पर्यावरण संतुलन के साथ-
साथ लोगों के घूमने फिरने तथा मनोरंजन और बच्चों के खेलने कूदने के लिए एक उपयुक्त स्थान मुहैया कराया जा रहा है। पुष्प वाटिकाओं में लॉन,
पाथवे फूलों की क्यारियां,
फव्वारा,
बच्चों के खेल कूद उपकरण आदि के प्रावधान किया गया है। योजना के तहत स्वीकृत 220
पुष्प वाटिकाओं में से 160
पुष्प वाटिकाएं पूर्ण कर ली गई है। इसके निर्माण पर 20
करोड़ से अधिक की लागत आयेगी। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में तालाबों का बहुत महत्व है। तालाब हमारे जनजीवन का अभिन्न अंग माने जाते है। तालाबों को संरक्षित करने के लिए सरोवर धरोवर योजना संचालित की जा रही है जिससे नगरीय निकाय क्षेत्रों में स्थित तालाबों की दशा में काफी सुधार आया है। इसी तरह शहरों में स्थित डेयरी से होने वाली गंदगी को दूर करने के लिए डेयरियों को नगर सीमा से बाहर गोकुल नगर योजना के तहत व्यवस्थित रूप से बसाया जा रहा हैं। प्रथम चरण में यह योजना प्रदेश के 8
नगर निगम क्षेत्रों में लागू की गई है। बड़े शहरों में यातायात के बढ़ते दबाव को नियंत्रित करने के लिए घनी आबादी के बीच स्थित ट्रांसपोर्ट संस्थानों को शहर की सीमा के बाहर व्यवस्थित रूप से बसाने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर योजना प्रारंभ की गई है। इसके पहले चरण में रायपुर,
बिलासपुर,
अंबिकापुर,
भिलाई,
रायगढ़,
कवर्धा,
राजनांदगांव और जग्दलपुर में 21
करोड़ की राशि से ट्रांसपोर्ट नगर बनाया जा रहा है। यात्री परिवहन में बसों के महत्व को देखते हुए सभी नगरी निकायों में प्रतीक्षा बस स्टैण्ड निर्माण की योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत प्रत्येक नगर निगम को बस स्टैण्ड निमार्ण के लिए 50
लाख,
नगर पालिकाओं को 33
लाख तथा नगर पंचायतों को 17
लाख की राशि प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत स्वीकृत 111
बस स्टैण्ड में से 61
का निर्माण पूर्ण हो चुका है। नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मृत्यु पर मृतक का अंतिम संस्कार सम्मान जनक रूप से करने के लिए मुक्तिधाम योजना प्रारंभ की गई है। मुक्तिधाम में सभी धर्म के अनुयायियों के अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। इस योजना के तहत 17
करोड़ की लागत से स्वीकृत 190
मुक्तिधामों में से 107
का निर्माण हो गया हैं। प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित बिलासपुर,
दुर्ग,
भिलाई और कोरबा नगर निगम में एक-
एक करोड़ की लागत से सर्वसुविधा युक्त मंगल भवन का निर्माण कराया जा रहा हैं। इस तरह छोटा राज्य होने के बावजूद छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में शहरीकरण की गति को दिनों दिन नया आयाम मिल रहा हैं।
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