मध्यमवर्ग की कमर तोड़ रही महंगाई
केन्द्र सरकार ने पश्चिम बं
गाल व केरल में विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि कर जनता को दूसरी बार करारा झटका दिया दिया है। इससे स्पष्ट हो गया कि चुनाव के बाद सरकार को जनभावनाओं से कोई सरोकार नहीं है। वहीं देश में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा है। पेट्रोल, डीजल, केरोसीन और रसोई गैंस के मूल्य में हुई यह ताजा बढ़ोतरी मध्यवर्ग की कमर तोड़ रही है, जिसके विरोध में लोगों का सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना लाजिमी है।

केन्द्र की यूपीए सरकार ने पिछले 9 महीने में नौ बार पेट्रोल के दाम बढ़ाए है। यूपीए सरकार की दूसरी पारी में पेट्रोल की कीमत में 23 रुपए वृद्धि हुई है। यह सही है कि आयातित पेट्रोल उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य से नीचे बेचना आर्थिक दृष्टि से घाटे का सौदा है और सरकार अनंत काल तक इसमें सबसिडी नहीं दे सकती। मगर एकमुश्त पांच रूपए वृद्धि करने के बजाय अगर सरकार जनवरी में ही पेट्रोल की कीमत में कुछ वृद्धि करती, तो उसे फिलहाल इसमें इतनी बढ़ोतरी की जरूरत नहीं पड़ती। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पेट्रोलियम दर में वृद्धि करने के निर्णय से स्पष्ट हो गया कि सरकार चुनाव से पहले पेट्रोल एक रुपया महंगा करने का जोखिम नहीं लेना चाहती थी, जबकि उसे चुनाव के बाद इसमें पांच रुपये की बढ़ोतरी करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। सरकार यदि चाहे तो अपने शुल्कों और अधिभारों में कुछ कमी कर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को नियंत्रण में रख ही सकती है। एक लीटर पेट्रोल की जो कीमत है, उसका आधा से कुछ अधिक तो उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, वैट, शिक्षा अधिभार आदि में ही चला जाता है। वाम दलों ने कुछ साल पहले यूपीए सरकार के सामने यह फॉर्मूला रखा था, तब वे सरकार को समर्थन दे रहे थे, अब तो पश्चिम बंगाल और केरल में भी सत्ता में नहीं हैं। पेट्रोल की कीमत में 5 रूपए वृद्धि के सदमे से मध्यमवर्गीय परिवार के लोग उबर नहीं पाए थे कि जनता को केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की कीमतों में वृद्धि कर एक बड़ा झटका दे दिया। सरकार ने डीजल की कीमत में तीन रूपए प्रति लीटर, रसोई गैस की कीमत में 50 रूपए प्रति सिलेंडर और केरोसिन में दो रूपए प्रति लीटर वृद्धि कर दिया है। डीजल में 7.9 फीसदी, रसोई गैस में 14.4 फीसदी और केरोसिन में 22 फीसदी वृद्धि की गई है। ईंधन की बढी हुई दरें शुक्रवार मध्यरात्रि से लागू हो गई है। मूल्य वृद्धि के बाद दिल्ली में डीजल का दाम 41 रुपए और रसोई गैस सिलेंडर 395 रुपए हो गया है। वहीं इसके ऊपर विभिन्न राज्यों में लागू मूल्यवर्धित कर भी इसमें जुड़ेगा।
सोंचने वाली बात यह है कि डीजल, रसोई गैस और मिट्टी तेल में मध्यरात्रि से की गई मूल्यवृद्धि से पहले से ही नौ प्रतिशत से ऊपर चल रही मुद्रास्फीति पर अब और दबाव बढ़ेगा। आर्थिक शोध संस्था क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा भी है कि ‘इस मूल्यवृद्धि से मुद्रास्फीति में आधा से लेकर 0.60 प्रतिशत अंक तक की वृद्धि होगी।’ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्यवृद्धि की आशंका बनी हुई थी। विशेषज्ञों के अनुसार डीजल, केरोसीन और एलपीजी के दाम बढ़ने से अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दबाव बढ़ेगा और जून महीने की सकल मुद्रास्फीति 9.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। मई महीने में सकल मुद्रास्फीति 9.06 प्रतिशत रही है, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति
के 11 जून के ताजा आंकड़े के अनुसार यह 9.13 प्रतिशत पर पहुंच चुकी थी। इधर पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता कम आमदनी में परिवार पालने को लेकर चिंतित है, वहीं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने इसे मामूली वृद्धि करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार ने मूल्य वृद्धि को कम से कम रखा है। आम आदमी पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े, इसके लिए कच्चे तेल के आयात पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है, जबकि अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर इसे पांच प्रतिशत कम किया गया है। उत्पाद शुल्क में भी कटौती की गई है तथा डीजल पर मूल उत्पाद शुल्क 4.60 रुपए प्रति लीटर से घटाकर दो रुपए लीटर किया गया है। उत्पाद एवं सीमा शुल्क की कटौती से सरकारी खजाने को इस साल 49,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। उन्होंने यह तर्क भी दिया है कि इस वृद्धि के बावजूद तेल कंपनियों को मौजूदा कीमतों पर चालू वित्त वर्ष में 1,71,140 करोड़ रुपए नुकसान होने का अनुमान है, लेकिन मूल्य वृद्धि और उत्पाद एवं सीमा शुल्क कटौती के बाद उनका यह नुकसान घटकर 1,21,000 करोड़ रुपए रह जाएगा।
हालांकि पेट्रोलियम पदार्थोँ की कीमतों में इजाफा करके केन्द्र सरकार चौतरफा आलोचना झेल रही है। विपक्ष ही नही, खुद संप्रग के घटक दलों ने मूल्यवृद्धि के कदम का खुले तौर पर विरोध किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मूल्यवृद्धि को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की है, जबकि विपक्षी दल भाजपा और वामदलों ने इस मसले को लेकर सड़क पर उतरने की चेतावनी तक दे दी है। वहीं, अन्नाद्रमुक ने मूल्यवृद्धि फौरन वापस लिए जाने की मांग की है। यूपीए के प्रमुख घटक दल तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा कि हम बार-बार कीमतें बढ़ाए जाने के कदम का कतई समर्थन नहीं करते हैं। वे मानती है कि ईंधन की कीमतें पहले से ही काफी बढ़ चुकी हैं। केरोसिन और रसोई गैस का इस्तेमाल सबसे ज्यादा आम आदमी करता है। अभी हाल ही में पेट्रोल की कीमतों में इजाफा किया गया था, ऐसे में ईंधन की कीमतें बढ़ाए जाने से पहले सरकार को बार-बार सोचना चाहिए। वहीं पेट्रोलियम पदार्थ व रसोई गैंस की कीमत में बेतहाशा वृद्धि के विरोध में भाजपा आज देशभर में प्रदर्शन करने वाली है। खैर, केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम व रसोई गैंस की कीमतों में बार-बार वृद्धि किए जाने के कारण जनता पूरी तरह से त्रस्त है।
सोंचने वाली बात यह है कि डीजल, रसोई गैस और मिट्टी तेल में मध्यरात्रि से की गई मूल्यवृद्धि से पहले से ही नौ प्रतिशत से ऊपर चल रही मुद्रास्फीति पर अब और दबाव बढ़ेगा। आर्थिक शोध संस्था क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा भी है कि ‘इस मूल्यवृद्धि से मुद्रास्फीति में आधा से लेकर 0.60 प्रतिशत अंक तक की वृद्धि होगी।’ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्यवृद्धि की आशंका बनी हुई थी। विशेषज्ञों के अनुसार डीजल, केरोसीन और एलपीजी के दाम बढ़ने से अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दबाव बढ़ेगा और जून महीने की सकल मुद्रास्फीति 9.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। मई महीने में सकल मुद्रास्फीति 9.06 प्रतिशत रही है, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति

हालांकि पेट्रोलियम पदार्थोँ की कीमतों में इजाफा करके केन्द्र सरकार चौतरफा आलोचना झेल रही है। विपक्ष ही नही, खुद संप्रग के घटक दलों ने मूल्यवृद्धि के कदम का खुले तौर पर विरोध किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मूल्यवृद्धि को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की है, जबकि विपक्षी दल भाजपा और वामदलों ने इस मसले को लेकर सड़क पर उतरने की चेतावनी तक दे दी है। वहीं, अन्नाद्रमुक ने मूल्यवृद्धि फौरन वापस लिए जाने की मांग की है। यूपीए के प्रमुख घटक दल तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा कि हम बार-बार कीमतें बढ़ाए जाने के कदम का कतई समर्थन नहीं करते हैं। वे मानती है कि ईंधन की कीमतें पहले से ही काफी बढ़ चुकी हैं। केरोसिन और रसोई गैस का इस्तेमाल सबसे ज्यादा आम आदमी करता है। अभी हाल ही में पेट्रोल की कीमतों में इजाफा किया गया था, ऐसे में ईंधन की कीमतें बढ़ाए जाने से पहले सरकार को बार-बार सोचना चाहिए। वहीं पेट्रोलियम पदार्थ व रसोई गैंस की कीमत में बेतहाशा वृद्धि के विरोध में भाजपा आज देशभर में प्रदर्शन करने वाली है। खैर, केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम व रसोई गैंस की कीमतों में बार-बार वृद्धि किए जाने के कारण जनता पूरी तरह से त्रस्त है।
अच्छी रचना के लिए आभार. हिंदी लेखन के क्षेत्र में आप द्वारा किये जा रहे प्रयास स्वागत योग्य हैं.
आपको बताते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है की भारतीय ब्लॉग लेखक मंच की स्थापना ११ फरवरी २०११ को हुयी, हमारा मकसद था की हर भारतीय लेखक चाहे वह विश्व के किसी कोने में रहता हो, वह इस सामुदायिक ब्लॉग से जुड़कर हिंदी लेखन को बढ़ावा दे. साथ ही ब्लोगर भाइयों में प्रेम और सद्भावना की बात भी पैदा करे. आप सभी लोंगो के प्रेम व विश्वाश के बदौलत इस मंच ने अल्प समय में ही अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है. आपसे अनुरोध है की समय निकलकर एक बार अवश्य इस मंच पर आये, यदि आपको मेरा प्रयास सार्थक लगे तो समर्थक बनकर अवश्य हौसला बुलंद करे. हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे. आप हमारे लेखक भी बन सकते है. पर नियमो का अनुसरण करना होगा.
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