विश्व में ढाई करोड़ लोग चढ़े मानव तस्करी की भेंट

Posted by Rajendra Rathore on 10:32 PM

मानव तस्करी जैसा जघन्य अपराध हमारे देश में बड़े पैमाने पर जारी है। देश में ऐसे दानव तुल्य लोग भी हैं, जो मानव को बेचने और खरीदने का गोरखधंधा करते हैं और यह सारा कुछ समाज के बड़े-बड़े ठेकेदारों और बड़े-बड़े कर्णधारों की नाक तले होता आया है। हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के बाद मानव तस्करी विश्व का सबसे अधिक लाभदायक गैर कानूनी व्यापार है।
मानव की खरीद-बिक्री कोई ऐसा कारोबार नहीं है, जिसे आसानी से चलने दिया जाए और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाने वाले लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। यह काला कारोबार मानवीयता, सभ्यता और कानून-व्यवस्था के साथ-साथ हमारे धर्मो को भी चुनौती देता है। वर्तमान समय में विश्व के बहुत से देशों को जिन चुनौतियों का सामना है उनमें से एक, मानव तस्करी की समस्या है। विश्व स्तर पर प्रकाशित होने वाले कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि पूरे विश्व में ढाई करोड़ से अधिक लोग, मानव तस्करी की भेंट चढ़े हैं और मानव तस्करी में लिप्त लोगों ने इस अमानवीय व गैर कानूनी व्यापार से अरबों डालर कमाए हैं। मानव तस्करी का शिकार होने वाले लोग महिलाओं, बच्चों बल्कि पुरुषों सहित समाज के सभी वर्गों से संबंध रखते हैं। बच्चों को भीख और चोरी जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए तथा महिलाओं को यौन व्यापार तथा घरों में काम करने और पुरुषों को उद्योगिक केन्द्रों तथा अत्याधिक कठिन व हानिकारक कामों के लिए मानव तस्करी का शिकार बनाया जाता है। मानव तस्करी का सबसे अधिक स्पष्ट व पीड़ादायक पहलू यह है कि अधिकांश मामलों में लोग स्वेच्छा से इसके लिए तैयार हो जाते हैं और उन्हें उसके परिणामों के बारे में सही जानकारी नहीं होती। युरोपीय और पश्चिमी देशों के लिए अधिकांश मानव तस्कर, मनुष्यों का शिकार करते हैं। इस कारोबार से जुड़े लोगों के संबंध कई राजनेताओं से होते हैं, इस वजह से यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। युरोपीय आयोग की जांच से पता चलता है कि विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं, न्यायपालिका के विभागों, पलायनकर्ताओं से संबंधित संगठनों तथा कई सरकारी, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व संस्थाओं की गतिविधियों के बावजूद मानव तस्करी के संदर्भ में अभी तक विश्वस्त आंकड़ें प्राप्त नहीं हो सके हैं। मानव तस्करी का शिकार होने वालों की सही संख्या का पता लगाना असंभव है, क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया गुप्त रूप से की जाती है। इस संदर्भ में तैयार की जाने वाली बहुत सी अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों में मानव तस्करी की बढ़ती घटनाओं के बारे में सही आंकड़े मौजूद न होने पर बल दिया गया है, किंतु, प्रत्येक दशा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए विश्व समुदाय के भरसक प्रयासों के बावजूद, प्रत्येक वर्ष लगभग 40 लाख लोग मानव तस्करी की भेंट चढ़ते हैं। इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे होते हैं। हर वर्ष मानव तस्करी का शिकार होने वाले बच्चों और महिलाओं की संख्या 25 लाख से अधिक है। मानव तस्करी पूर्वी व केन्द्रीय युरोप, आफ्रीका, एशिया तथा दक्षिणी अमरीका से बेल्जियम, जर्मनी, इटली, थाईलैंड, तुर्की, अमरीका जैसे देशों तथा इस्राईल के लिए की जाती है। ब्रिटेन के मानव तस्करी निरोधक विभाग ने वर्ष 2011 में अपनी रिपोर्ट में घोषणा की थी कि मानव तस्करी का शिकार होकर ब्रिटेन पहुंचने वाले लोगों में से 11 प्रतिशत को घरों में काम पर लगाया गया, वहीं 1 प्रतिशत लोगों के अंगों की तस्करी की गई, जबकि 17 प्रतिशत लोगों को अपराधिक गतिविधियों में ढकेला गया और 22 प्रतिशत लोगों से बेगार कराया गया। इसके अलावा 31 प्रतिशत लोगों का यौन शोषण किया गया और 18 प्रतिशत लोगों की तस्करी के कारणों का पता नहीं चल पाया। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं और बच्चों के यौन शोषण से की जाने वाली कमाई ही लगभग 28 अरब डालर प्रति वर्ष है। युरोपीय संघ के आकंड़ों के अनुसार मानव तस्करी का शिकार होने वाला हर बच्चा, तस्करी करने वाले गुट के लिए 2 लाख डालर से अधिक आमदनी का साधन होता है। युरोप के वे देश जहां के लिए मानव तस्करी बढ़ रही है उनमें ब्रिटेन भी है। कनाडा भी उन देशों में शामिल है, जहां मानव तस्करी के माफिया सक्रिय हैं। अमरीका में बहुत से लोगों को यौन दासता के लिए खरीदा व बेचा जाता है। अमरीकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस देश में हर महीने 400 से अधिक ऐसी लड़कियों का यौन शोषण किया जाता है, जिनकी आयु 12 से 14 वर्ष के बीच होती है। विभिन्न देशों में मानव तस्करी के विरुद्ध सक्रिय संगठनों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि विश्व में इस अमानवीय व गैर कानूनी व्यापार के विस्तार का एक कारण इस समस्या के निवारण के लिए सरकारों द्वारा आवश्यक कदम नहीं उठाया जाना है। अमरीका में प्रकाशित होने वाले आकंड़ों से पता चलता है कि इस देश में मानव तस्करी का शिकार होने वाले हर 800 लोगों के लिए केवल एक तस्कर को न्यायालय में दंडित किया जाता है और उसे मिलने वाला दंड भी बहुत साधारण होता है, इसीलिए दंड पाने वाले तस्कर जेल से निकलने के बाद पुनः इसी काम में व्यस्त हो जाते हैं। भारत देश की राजधानी दिल्ली में मानव तस्करी के बढ़ते आंकड़ों के मद्देजनर हाल ही में सरकार ने सभी राज्यों में मानव तस्करी निरोधक सेल तथा हेल्पलाईन सेवा शुरू की है। नियंत्रण सेल को खोलने का एकमात्र मकसद यही है कि मानव तस्करी की घटनाओं को किसी तरह नियंत्रित की जा सके। इसके लिए पुलिस विभाग द्वारा जनप्रतिनिधियों, अधिवक्ताओं, पत्रकारों व आमजनों से सहयोग लिया जा रहा है। सेल के लिए अलग से टोल फ्री फोन नंबर लगाए गए है, जिस पर फोन करके मानव तस्करी से संबंधित कोई भी सूचना दी जा सकती है। विश्व में बढ़ती मानव तस्करी की घटनाओं कीे रोकथाम के लिए वर्तमान में भारत ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जा रहे हैं, बावजूद इसके अंतर्राष्ट्रीय नियमों में इस अमानवीय व्यापार को रोकने के लिए कड़े प्रावधान व दंड की जरूरत है।