शहीद स्मारक को भूला प्रशासन
महापुरूषों को सम्मान देने के लिए जांजगीर के कचहरी चौक पर बनाया गया शहीद स्मारक वर्तमान में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इस परिसर में चारों तरफ गंदगी है, जिसे साफ सुधरा रखने के लिए आजादी के पर्व पर भी नगरपालिका के सफाई कर्मियों का ध्यान नहीं जाता। जिला प्रशासन ने शहीद स्मारक को तो भूला ही दिया है।
जिला मुख्यालय के कचहरी चौक के पास पुलिस थाना के सामने स्थित शहीद स्मारक ड़ेढ़ दशक पहले गुलजार था। परिसर में स्थापित स्तंभ में आजादी के घटनाक्रम का वर्णन है। स्तंभ में अशोक चक्र व सिंह का प्रतीक भी बना हुआ है। पहले स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस व अन्य विशेष अवसरों पर स्कूली बच्चे तथा पुलिस जवानों द्वारा यहां पहुंचकर ससम्मान शहीदों को सलामी दी जाती थी। राष्ट्रीय पर्व के तीन-चार दिन पहले ही पालिका द्वारा स्मारक के चारों तरफ बने अहातें की साफ-सफाई कर पुताई कराईं जाती थी। वहीं शहीद स्मारक परिसर की नियमित सफाई भी होती थी, लेकिन अब नगर पालिका ने इस महत्वपूर्ण जगह को बिसार कर दिया है। नियमित साफ-सफाई तो दूर अब यहां कोई झांकने भी नहीं जाता, जिसके कारण यह परिसर कचरों से पटा है। कचहरी चौक के आसपास दुकान लगाने वाले लोग तथा होटल व्यवसायी शहीद स्मारक परिसर में गंदगी को लाकर फेंक देते हैं, जिससे परिसर में कूड़े-करकट का ढ़ेर लग गया है। इसके अलावा परिसर के दोनों तरफ गुमटी तथा फुटपाथ में सुबह से दुकानें सज जाती हैं, जिसके कारण शहीद स्मारक परिसर पर किसी का ध्यान नहीं जाता। शहीद स्मारक परिसर ठीक जांजगीर थाने के सामने स्थित है, जहां पुलिस विभाग के आला अधिकारियों की नजर हमेशा पड़ती है, लेकिन उन्हें भी इस स्मारक से सरोकार नहीं है।
प्रतिमा लगाने नहीं दी अनुमति
वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद यहां एक स्तंभ बनाकर उनकी तस्वीर लगाई गई थी। जहां स्व. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि व जयंती के अलावा राष्ट्रीय पर्वो पर प्रशासन, पुलिस व आम नागरिक उपस्थित होकर श्रद्वांजलि अर्पित करते थे, लेकिन वर्तमान में वहां से श्रीमति गांधी की तस्वीर ही गायब है। जिला पंचायत सदस्य दिनेश शर्मा बताते हैं कि इस परिसर में स्व. इंदिरा गांधी की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने के लिए नगर के कुछ लोगों ने प्रयास किया था, लेकिन नगरपालिका व प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। प्रशासन की लापरवाही के कारण शहीद स्मारक परिसर कचरे के ढ़ेर में तब्दील हो गया है।
अफसरों ने भी नहीं किया प्रयास
शहीद स्मारक को साफ-सुथरा रखने तथा वहां महत्वपूर्ण अवसरों पर शहीदों व महापुरूषों को सम्मान देने के बारे में जिला प्रशासन के अफसरों ने कभी प्रयास नहीं किया। लिहाजा यह स्मारक अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। वर्तमान में इस परिसर की हालत बिल्कुल दयनीय है। परिसर की दीवारें बद से बद्तर हो गई है, वहीं स्मारक के आसपास इतनी गंदगी है, कि वहां एक पल ठहरना मुश्किल है। बिजली की व्यवस्था नहीं होने से शाम होते ही यह परिसर अंधेरे के आगोश में समा जाता है, जहां असमाजिक तत्व बेखौफ होकर नशाखोरी करते हैं।
प्रतिमा लगाने नहीं दी अनुमति
वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद यहां एक स्तंभ बनाकर उनकी तस्वीर लगाई गई थी। जहां स्व. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि व जयंती के अलावा राष्ट्रीय पर्वो पर प्रशासन, पुलिस व आम नागरिक उपस्थित होकर श्रद्वांजलि अर्पित करते थे, लेकिन वर्तमान में वहां से श्रीमति गांधी की तस्वीर ही गायब है। जिला पंचायत सदस्य दिनेश शर्मा बताते हैं कि इस परिसर में स्व. इंदिरा गांधी की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने के लिए नगर के कुछ लोगों ने प्रयास किया था, लेकिन नगरपालिका व प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। प्रशासन की लापरवाही के कारण शहीद स्मारक परिसर कचरे के ढ़ेर में तब्दील हो गया है।
अफसरों ने भी नहीं किया प्रयास
शहीद स्मारक को साफ-सुथरा रखने तथा वहां महत्वपूर्ण अवसरों पर शहीदों व महापुरूषों को सम्मान देने के बारे में जिला प्रशासन के अफसरों ने कभी प्रयास नहीं किया। लिहाजा यह स्मारक अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। वर्तमान में इस परिसर की हालत बिल्कुल दयनीय है। परिसर की दीवारें बद से बद्तर हो गई है, वहीं स्मारक के आसपास इतनी गंदगी है, कि वहां एक पल ठहरना मुश्किल है। बिजली की व्यवस्था नहीं होने से शाम होते ही यह परिसर अंधेरे के आगोश में समा जाता है, जहां असमाजिक तत्व बेखौफ होकर नशाखोरी करते हैं।
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