जांजगीर में भी हैं दधीचि
जांजगीर में निवासरत जैन परिवार के तीन सदस्यों ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर के छात्रों के अध्ययन के लिए अपना देहदान कर आधुनिक दधीचि की भूमिका अदा की है। जैन परिवार के इस संकल्प की शहर के सभी लोग खुले मन से तारीफ कर रहे है। वहीं चिकित्सा-विज्ञान के विद्यार्थियों के प्रशिक्षण में इनके शरीर के अंग मददगार साबित होंगे।
अपना जन्मदिन सब लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं, लेकिन नगर के व्यवसायी सूरजमल जैन ने इस बार धूम-धड़ाके से दूर रहते हुए अपना जन्मदिन सबसे हटकर मनाने की ठानी थी। वे अपने जन्मदिन पर कुछ अलग करना चाहते थे, ताकि समाज व दुनिया के लोग उन्हें मृत्यु के बाद भी याद करें। अपने नाम को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए उन्होंने देहदान करने का निर्णय लिया। श्री जैन ने बताया कि 1 जनवरी को अपने 90 वीं जन्मदिवस पर उन्होंने सुबह उठकर स्नान के बाद पूजा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने मृत्यु के उपरांत शरीर को छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर को दान करने का संकल्प लिया, जिससे मेडिकल के छात्रों को अध्ययन में सहयोग मिल सके। यही नहीं उनके अनुकरणीय पहल से प्रेरणा लेकर 64 वर्षीय पुत्र महेन्द्र जैन व उनकी पत्नी 59 वर्षीय शोभा जैन ने भी अपनी मृत्यु उपरांत देहदान का संकल्प लिया। देहदान का संकल्प लेने के बाद तीनों ने सिम्स बिलासपुर में अपना संकल्प पत्र भी भर दिया है। मृत्यु के बाद देहदान की इच्छा रखने वाले जैन परिवार के सदस्य पहले देहदानी नहीं हैं, लेकिन यह ऐसा रास्ता है जिस पर बहुत कम ही लोग चलते हैं। जैन परिवार का यह अनूठा संकल्प समाज में एक मिसाल है।
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