तारीख पर तारीख, मुकदमें में गुजर गए 80 बरस

Posted by Rajendra Rathore on 11:48 PM

-उम्र से बीस गुना ज्यादा अदालतों के चक्कर
-100 साल की मांगी बाई 2009 बार गई है पेशी
कहते है न्याय के मंदिर में देर है, लेकिन अंधेर नहीं है। न्याय के मंदिर में जाकर अपनी फरियाद करने वालों को जरूर न्याय मिलता है। मगर यह जुमला जशपुर जिले के फरसाबहार ब्लॉक की 100 साल की मांगी बाई पर नहीं जमता है। वह पिछले 80 वर्षों से न्याय की तलाश में भटक रही है। मांगी बाई के जमीन विवाद का मामला 80 साल से विभिन्न न्यायालयों में चल रहा है, जिसके कारण घर में मुर्दा रखकर पेशी, घर में शादी छोड़कर पेशी, पोते-पोतियों की छट्ठी छोड़कर पेशी, त्योहारों में उपवास रहकर पेशी जाना उसकी मजबूरी बन गई है। उम्र का लंबा पड़ाव पार कर चुकी मांगी बाई को आज भी न्यायालय पर भरोसा है। यही वजह है कि वह अब तक 2009 बार पेशी जा चुकी है। मांगी बाई के जमीन विवाद का मामला नायब तहसीलदार फरसाबहार, तहसीलदार कुनकुरी, सिविल कोर्ट जशपुर और एसडीएम कोर्ट कुनकुरी में चल चुका है। मांगी बाई बताती है कि उसके ससुराल पक्ष का उपरकछार गांव स्थित उनके घर के पास की 3 एकड़ 10 डिसमिल जमीन पर कई दशकों से कब्जा है। उसके ससुर और पति इस जमीन का पट्टा मांगी के नाम से लेना चाह रहे थे। रजिस्ट्रेशन व पट्टे के लिए आवेदन दिए जाने पर गांव के रामा राम पिता चुन्नी लाल ने आपत्ति जताई थी। विवाद राजा के पास पहुंचा और लोकतंत्र की स्थापना के बाद कोर्ट में। मांगी बाई बताती है कि लोकतंत्र की स्थापना के पूर्व वह रियासत के राजा के पास कई बार शिकायत लेकर पहुंची, और राजा के दरबार में भी इसकी सुनवाई हुई। उक्त जमीन में 4 कटहल के पेड़, खलिहान में एक वट वृक्ष, बेर के पेड़ आदि हैं। जमीन पर वर्षो से उनके परिवार द्वारा ही कृषि कार्य किया जा रहा है। मामले का अनावेदक भी काफी वृद्ध हो चुका है, जो बीमार है। मांगी बाई के पास पेशी और कोर्ट कचहरी के कागज भरे पड़े हैं, लेकिन 1947 से पहले के कोई कागजात नहीं है। मांगी बाई ने आगे बताया कि अंग्रेजों के जमाने में जब वह 15 वर्ष की थी, तो मंगराराम से उसकी शादी हुई। मांगी के 4 लड़के हैं, जो अब वृद्ध हो चुके हैं। मांगी के बड़े लड़के की मृत्यु 75 साल की आयु में 5 वर्ष पूर्व हो चुकी है। मांगी जब 20 वर्ष की थी, उसी समय से जमीन विवाद पर सुनवाई और शिकायतों का दौर चला। जमीन विवाद पर जंग लड़ते हुए मांगी ने अपने जेवर, घर के बर्तन, बैल-भैंस भी बेंच डाले, मगर 80 साल बाद भी उसे न्याय नहीं मिला है। मांगी बाई के मामले के संबंध में अधिवक्ताओं का कहना है कि कानून की प्रक्रिया बहुत जटिल है। इस कारण ऐसा हो सकता है। कानूनी बंधन के कारण जमीन विवाद के मामले में कोर्ट जल्दी से फैसला नहीं ले पाती है। ऐसे मामलों में अपील पर अपील होती रहती है और मुकदमों की संख्या के साथ पेशी की तारीख भी बढ़ती जाती है।